कहते हैं जिंदगी बहुत छोटि हैं पर जब हम जीते हैं तो हमे बहुत सारे उतार चढ़ाव को देखना पड़ता हैं कुछ चीजें बहुत अच्छी होती हैं जिससे हम बहुत खुश हो जाते हैं ओर कुछ घटना ऐसी भी घट जाती हैं जो हमे अंदर तक झंझोर देती हैं जिससे इंसान अंदर से टूट जाता हैं।
ये जिंदगी हैं जो चलते रहती हैं ना अच्छे दिन में रुकती हैं ना बुरे दिनों में समय के साथ सब बदलते जाता हैं। पुराने दिन समय के जैसे पीछे छूटते जाते है उनके साथ ही हमारे अपने भी कही पीछे छूट जाते हैं उदाहरण के लिये यही ले लीजिए कि आपके घर पर नन्ही परी आयी और धीरे धीरे वह कब बड़ी हो गई आपको पता भी नही चलता ओर जब आप उसकी शादी कर देते हैं तो वह नये घर मे जाकर वहां की होकर रह जाती हैं कुछ टाइम अरगेस्ट करने में दिक्कत होती हैं पर उसके बाद वह अच्छे से वहा सेटल हो जाती हैं जिस घर मे वह छोटी से बड़ी हुई वही घर अब उसे पराया लगने लगता हैं ओर अपने पति का घर ही अपना लगता हैं क्योंकि यह समय समय की बात होती हैं।
जब हम किसी परेशानी से लंबे समय से जूझ रहे होते हैं तो बहुत जल्दी निराश हो जाते हैं जिससे कोई भी काम सही से नही हो पाता और हम निराश होकर कोई भी फैशला सही से नही ले पाते ।
क्या होता है एक बेटी का फर्ज
एक बेटी का हैं ये सवाल , क्या होता हैं मेरा कर्म
जिस माँ की कोख में रही में 9 महिने
क्यो जाना पड़ता हैं उसे छोड़कर दूजे घर
जिस बाप की मैं राजकुमारी, फिर क्यों शोप दे मुजे किसी दूजे को समझ के नारी।
एक बेटी का हैं ये सवाल , क्या होता हैं मेरा कर्म।।
जिस घर मे मेने बोलना सिखा, जिसमें मेने चलना सीखा
क्यो हो जाती हूं मैं इतनी बेवश की उस घर मे आने के लिये मुजे लेना पड़ता हैं किसी ओर से ही इजाजत।
क्या लड़की का कोई घर नही होता माँ बाप के लिये कोई फ़र्ज़ नही होता।
क्या हो जाती हैं बेटी शादी के बाद इतनी पराई की जिन्होंने उसे जन्म दिया पाला पोसा बड़ा किया उनके लिए कोई फ़र्ज़ न निभा सके ? क्यो होती है हर बेटी इतनी मजबूर की उलझ के रह जाती हैं ससुराल ओर मायके के चक्कर में,
केसी पीड़ा है ये बेटी की जिससे दो हिस्सों में बटना हैं जिसे बेटी कम ओर बहु ज्यादा लगना हैं
एक बेटी का हैं ये सवाल , क्या होता हैं मेरा कर्म
जब एक बेटी बहु बनकर भी बेटी बन सकती हैं तो एक बेटा दामाद बनकर बीटा क्यो नही बन सकता ये है मेरा एक सवाल दे जबाब इसका बेटा भी क्या सारे सितम सिर्फ बेटियों के नाम , घर छोड़े तो बेटी छोड़े पीछे छोड़े अपने माँ बाप फिर भी सब यही बोले पराये घर का धन हैं पराये घर से आई हैं
एक बेटी का हैं ये सवाल , क्या होता हैं मेरा कर्म
कहते हैं धरती पर भगवान का दूसरा रूप होते हैं माँ बाप फिर क्यो बहु को मिले सास और क्यो बेटा बने राजा दामाद क्यो जिम्मेदारीया सिर्फ बेटी के हक़ में बेटे के हक़ में राज क्यो नही समझे ये जमाना हमे मीले है भगवान के रूप में दो दो माँ बाप बेटी अगर बहु बनकर भी बन सकती हैं बेटी तो बेटा दामाद बनकर क्यो नही बन सकता बेटा भी यही है एक बेटी का सवाल ?
बेटे को कभी डर नही की छोड़ना पड़ेगा घर पर क्या एक बेटी से पूछा गया क्या है उसका डर सब कर जाती जब बात परिवार में आती ये बेटियां ही हैं जनाव जो एक घर छोडकर दूजे को अपना घर बनाती।
आशय – इस छोटी से पोएम का एक ही आशय हैं जिन्होंने उसे जन्म दिया उन माँ बाप के लिए उतना कुछ नही कर पाती जितना वो अपने सास ससुर ओर पति के लिए करती हैं इसलये हमेशा अपनी बहू को बेटी से ज़्यादा प्यार दे क्योकि जब सास ससुर बीमार हो तो उनका ख़्याल बहु ही रखती हैं क्योकि बेटी को तो उन्हें भी शादी करके दूसरे घर भेजना होता हैं ठीक इसी तरह जब एक लड़का किसी लड़की से शादी करता हैं तो उसका फ़र्ज़ भी बनता है कि वह दामाद कम ओर बेटा ज्यादा बने और अपने माँ बाप की तरह ही अपने सेक्स ससुर के साथ रहे और उन्हें खुश रखे क्योकि हमारे यह शादी का मतलब 2 लोगो का मिलन नही बल्कि 2 परिवारो का मिलन होता हैं और लड़का लड़की दोनो की जिम्मेदारी होती है दोनो परिवार को एक साथ रखना ओर सबका ध्यान रखना।